दोहा
रहिमन तुलसी जायसी, वृंदावन व कबीर।और बिहारी संग में , दोहा सरिता नीर।।
-आचार्य प्रताप
यह मेरी प्रथम पुस्तक का नाम है अतः मैने सोचा कि इसके माध्यम से मैं अपने पाठकों तक अपनी रचनाएँ पहुँचाऊँ।
कुंडलिनी छंद
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शिक्षा मिले गरीब को, करें गरीबी दूर।
बिन शिक्षा के कुछ नहीं, सपने चकनाचूर।
सपने चकनाचूर, न देता कोई भिक्षा।
कह प्रताप अविराम, सदा लो पहले शिक्षा।
________________________प्रताप