यह मेरी प्रथम पुस्तक का नाम है अतः मैने सोचा कि इसके माध्यम से मैं अपने पाठकों तक अपनी रचनाएँ पहुँचाऊँ।
शीर्षक- आनंद की अनुभूति
दुखों में रोकर मिलता है, सुखों में हँसकर मिलता है क्षुधा-पीड़ित हो प्राणी जो, उसे तो खाकर मिलता है। जगत में मैंने देखा है, सभी की अपनी विधियां हैं- पर ! मुझको तो बस आनंद, नव-छंद लिखकर मिलता है। #प्रताप
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