आज के दुमदार दोहे
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सोच रहा था आज मैं, लिखकर दूँगा छंद।
बैठे - बैठे ही हुआ, फूलों का मकरंद।।
लिए तुलसी की माला।
हुआ क्यों मैं मतवाला।।०१।।
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माँ ने खत में यो लिखा, रहना तुम तैयार।
कपड़े-जूते ले लिया, हुआ अनोखा प्यार।।
लिखा जो माँ ने खत में।
वहीं था मेरे मन में।।०२।।
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कहते हैं सब मित्र अब, कर लो तुम भी प्यार।
मित्रो की तो हो गई , शादी मेरे यार।।
चढ़ेगा कब तू घोड़ी।
समय है थोड़ी-थोड़ी।।०३।।
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पाना हो यदि प्यार तो, करो प्रशंसा आज।
महिलाओं का साथ हो, सदा करोगे राज।।
यही है अबला नारी।
हुई ये सब पर भारी।०४।।
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नारी शक्ति की तुम्हें, आज सुनाऊँ बात।
कंधों से कंधा मिला ,पुरुषों को दें मात।।
प्रशंसा कर दूँ सारी ।
यही है अबला नारी।।०५।।
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सच को जब मैं सच कहूँ , मत सुनिएगा आप।
चाकू - छूरी लें यहाँ , पहुँचे सभी #प्रताप।।
सुनो सब मेरे यारों।
यहाँ से कल्टी मारो।।०६।।
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#आचार्य_प्रताप
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