आज के दुमदार दोहे
=============
सोच रहा था आज मैं, लिखकर दूँगा छंद।
बैठे - बैठे ही हुआ, फूलों का मकरंद।।
लिए तुलसी की माला।
हुआ क्यों मैं मतवाला।।०१।।
=====================
माँ ने खत में यो लिखा, रहना तुम तैयार।
कपड़े-जूते ले लिया, हुआ अनोखा प्यार।।
लिखा जो माँ ने खत में।
वहीं था मेरे मन में।।०२।।
=====================
कहते हैं सब मित्र अब, कर लो तुम भी प्यार।
मित्रो की तो हो गई , शादी मेरे यार।।
चढ़ेगा कब तू घोड़ी।
समय है थोड़ी-थोड़ी।।०३।।
===================
पाना हो यदि प्यार तो, करो प्रशंसा आज।
महिलाओं का साथ हो, सदा करोगे राज।।
यही है अबला नारी।
हुई ये सब पर भारी।०४।।
======================
नारी शक्ति की तुम्हें, आज सुनाऊँ बात।
कंधों से कंधा मिला ,पुरुषों को दें मात।।
प्रशंसा कर दूँ सारी ।
यही है अबला नारी।।०५।।
=======================
सच को जब मैं सच कहूँ , मत सुनिएगा आप।
चाकू - छूरी लें यहाँ , पहुँचे सभी #प्रताप।।
सुनो सब मेरे यारों।
यहाँ से कल्टी मारो।।०६।।
=======================
#आचार्य_प्रताप